रंग बिरंगे फूलों जैसे
नाना-नानी मुझे खिलाते
मेरे आगे-पीछे दिनभर चकर घिन्नी से बन जाते
संग-संग सोते संग-संग उठते
बात बात पर मुझे हँसाते
हर छोटी सी हरकत मेरी कैमरे में कैद कराते ।
आसमान में पंछी जैसे
दादा-दादी स्काइप पे आते
रोज मेरी फोटो न मिलने पर सबकी खूब डांट लगाते
पंडित, पूजा, ज्योतिष कराते
भविष्य के ढेरों प्लान बनाते
मेरी हर अठखेलियों पर खूब सारा लाड़ बरसाते ।
टिम-टिम टिम-टिम तारे जैसे
मम्मी-पापा मन मुस्काते
मेरे रोने में खुद रो पड़ते, मेरे हसने में खुश हो जाते
रोज अनोखे नाम बुलाते
अचरज भरी दुनिया दिखाते
नए-नए जीवन की छाओं में दोनो अपनी आँख बिछाते ।
सतरंगी इन्द्रधनुष के जैसे
मेरे सारे रिश्ते नाते
बुआ-फूपा, मामा-मामी, दीदी-भैया प्यारे प्यारे
स्नेह प्रेम की कुंजी है यह
रंगीन, संगीन, या मतवाले
मैं इनकी छोटी सी आख्या, ये सब मेरे परिवार वाले ।